क्रिस्टोफ़र नोलन की चर्चित फ़िल्में

फ़ॉलोइंग (1998)

क्रिस्टोफ़र नोलन ने 28 साल की उम्र में अपनी पहली फ़ीचर फ़िल्म ‘फ़ॉलोइंग’ निर्देशित की. इस फ़िल्म को काफ़ी सराहा गया. ‘द न्यूयॉर्कर’ ने कहा कि इसमें हिचकॉक की क्लासिक फिल्मों की झलक दिखाई देती है.

ममेन्टो (2000)

‘ममेन्टो’ दो अलग-अलग टाइमलाइन पर एक साथ चलती है. 'शॉर्ट टर्म मेमरी लॉस' पर केंद्रित इस फ़िल्म से प्रेरित होकर भारत में पहले तमिल और फिर हिंदी में 'गजनी' फ़िल्में बनीं.

द प्रेस्टीज (2006)

इस फ़िल्म को भी नोलन ने एकरेखीय नहीं बनाते हुए उसी तरह से बुना जैसे कोई जादूगर अपने सामने बैठे दर्शकों के लिए भ्रम का जाल बुनता है. यहाँ प्रतिस्पर्धा जादूगरों के बीच तो है ही, टेस्ला और एडिसन जैसे वैज्ञानिकों के बीच भी है.

द डार्क नाइट (2008)

हीथ लेजर ने इस फ़िल्म में जोकर की भूमिका को अविस्मरणीय बना दिया, लेकिन यह बहुत बड़ी विडम्बना रही कि फ़िल्म की रिलीज़ के कुछ ही समय पहले, जब फ़िल्म की एडिटिंग चल रही थी, दवाओं की गलत खुराक के कारण हीथ का देहांत हो गया.

इन्सेप्शन (2010)

इस फ़िल्म की मूल अवधारणा थी, किसी का विचार चुराने या उसके दिमाग में कोई विचार रोपने के लिए उसके सपने में दाखिल होना! इस फ़िल्म में सपनों के भीतर कई तरह की भूल-भुलैयाएँ और उलझन-भरी असंभव संरचनाएँ बनाई जाती हैं.

   इंटरस्टेलर         (2014)

यह फ़िल्म एक ऐसे भविष्य की बात करती है जब पृथ्वी रहने लायक नहीं रह गई है.  कुछ अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम सुदूर गैलेक्सी में ग्रहों पर जीवन की संभावनों को खोजने के लिए निकलती है. लेकिन अन्तरिक्ष में बिताया उनका थोड़ा सा समय भी पृथ्वी के कई सालों के बराबर होता है. 

डनकर्क (2017)

‘डनकर्क’ में 1940 के फ़्रांस के युद्ध (जर्मन सेनाओं और मित्र राष्ट्रों के बीच) के समय ब्रिटेन और फ़्रांस के तीन लाख से अधिक सैनिकों के फ़्रांस के डनकर्क समुद्रतट से वापस ब्रिटेन सुरक्षित लौटने की कहानी है. नोलन की यह फ़िल्म विश्व की श्रेष्ठ युद्ध फ़िल्मों में गिनी जाती है.

टेनेट (2020)

इस फ़िल्म में ‘इनवर्टेड एंट्रॉपी’ सिद्धांत के ज़रिए बताया गया कि अगर किसी को भूतकाल में जाना है तो उसे पहले तो टर्नस्टाइल मशीन से गुज़रना होगा और उसके बाद हर चीज़ को विपरीत दिशा में करना होगा.

ओपेनहाइमर (2023)

अमेरिका में परमाणु बम प्रोजेक्ट के अग्रणी ओपेनहाइमर ने जब अमेरिका की विनाशकारी नीतियों का विरोध किया तो उन पर ही मुकदमा चलाया गया. फ़िल्म इसी मुकदमे की कार्रवाई से शुरू होती है और इससे पहले की कई घटनाएँ फ़्लैश बैक में देखने को मिलती हैं.