‘पुअर थिंग्स’ (Poor Things) : विज्ञान, नैतिकता और बैला बैक्सटर : अमेय कान्त

Poor Things Hindi Review ग्रीक फ़िल्मकार यॉरगॉस लैंथिमॉस अपनी फ़िल्मों के अनूठे विषयों के लिए जाने जाते हैं. उनकी ‘डॉगटूथ’, ‘लॉबस्टर’ और ‘फ़ेवरेट’ जैसी फ़िल्में […] Read More

‘भक्षक’ (Bhakshak): मेनस्ट्रीम मीडिया की चुप्पी के बीच अंधेरे से मुठभेड़ की ‘कोशिश’ : अमेय कान्त

मीडिया की भूमिका और इसके दायित्व को लेकर हमारे यहाँ अलग-अलग तरह से फ़िल्में बनी हैं। साल 1989 में टीनू आनन्द के निर्देशन में एक […] Read More

‘पश्चिम और सिनेमा’ (Pashchim Aur Cinema) : सिनेमा के सफ़र को समझने में मददगार किताब : अमेय कान्त

आज फ़िल्मों को हम जिस रूप में देखते हैं उसके पीछे सिनेमा ने एक लंबा सफ़र तय किया है. अब फ़िल्में बड़े-बड़े आईमैक्स कैमरों से […] Read More

रोमा (Roma): वर्त्तमान की आँखों से अतीत को देखती फ़िल्म : अमेय कान्त

नेटफ़्लिक्स काफ़ी समय से अपनी कई ओरिजिनल सीरीज़ और फ़िल्मों के माध्यम से हॉलीवुड के सामने नई चुनौतियाँ लेकर आ रहा है। लेकिन साल 2018 […] Read More

गाँवों-कस्बों की ज़िंदगी में झाँकतीं अचल मिश्रा (Achal Mishra) की फ़िल्में : अमेय कान्त

अचल मिश्रा (Achal Mishra) उन निर्देशकों में से हैं जिन्होंने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. कुछ समय लंदन फ़िल्म स्कूल […] Read More

सब कुछ समेटने की कोशिश में लड़खड़ा गई ‘नेपोलियन’ (Napoleon) : अमेय कान्त

रिडली स्कॉट (Ridley Scott) जैसा निर्देशक हो और वॉकिन फ़ीनिक्स (Joaquin Phoenix) जैसा अभिनेता हो तो उम्मीदें बढ़ ही जाती हैं. विषय भी ऐसा था […] Read More

किलर्स ऑफ़ द फ़्लॉवर मून (Killers of the Flower Moon) : स्कॉर्सेसी की एक और उम्दा फ़िल्म

मार्टिन स्कॉर्सेसी (Martin Scorsese) हॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक हैं। उन्होंने 1967 से लेकर अब तक बीस से ज़्यादा फ़िल्मों का निर्देशन किया जिनमें से ज़्यादातर […] Read More